Tuesday, February 17, 2009
आतंक का नया चेहरा
आखिर कब जागेगी हमारी आवाम, आखिर कब होगा सबेरा, हम किस-किस को जिम्मेंदार कहें इस आतंक का । भारत में जहाँ एक ओर हिन्दू , मुस्लिम, सिख, ईसाई को भाई-भाई का दर्जा दिया जाता है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम कौम को श़क की नज़र से देखा जाता है। यदि पकड़ा जाने वाला आतंकी मुस्लिम है तो सभी मुस्लिम को शक के दायरें से देखतें हैं। यदि पकड़ा जाने वाला व्यक्ति हिन्दू होता है तो उसे आतंकवादी क्यों नहीं कहा जाता हैं। सभी धर्म हमें अमन और शान्ति की प्रेरणा देते है। जब कि आतंकी का ना तो कोई जाति होती है और ना हीं उसका कोई धर्म । भारत हमेशा से शान्तिप्रिय और भाईचारें का देश रहा है पर अब ना तो भारत शान्तिप्रिय देश रह गया है और ना हीं भाईचारें का। अब भाईचारा और शान्ती तो हमारे राजनेताओं की भेंट चढ़ गया है।
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