चाँद पर पहुँचने की ख्वाहिश किसके दिल में उज़ागर नहीं होती है। चाँद तो मानव मन के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है। साहित्यकार इसे सौंदर्य का प्रतीक मानते है तो वैज्ञानिक इसे अन्य ग्रहों उपग्रहों की तरह रहस्य और रोमांच से भरी एक अलग दुनिया। इसी दुनिया की खोज में भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को सुबह 6 बज़कर 21 मिनट पर एक इतिहास रचा। भारत ने अपने चंद्रयान-1 मिशन को पंख लगाकर उसे एक नयी दिशा दे दी। इसी के साथ भारत - रूस, अमेरिका, ज़ापान चीन आदि की क़तार में ऐसे छठे देश के रूप में आ खड़ा हुआ है जिनके चाँद पर मिशन गए हैं। परन्तु भारत एक और ऐतिहासिक शिखर के साथ ऐसा चौथा देश भी बन गया जिसका परचम चाँद पर लहराया।
भारत अपने चाँद पर पहुँचने के सपने को पूरा कर अन्य देशों के लिए चर्चा, चिंता और चौकानें का सबब बन चुका है। भारत की इस ऐतिहासिक कामयाबीं पर चीन, अमेरिका, पाकिस्तान जैसें अन्य कई देश चकित हुए हैं। भारत की इस सफलता पर चीनी अंतरिक्ष विज्ञानी सवाल करने में मश़गूल हैं। शायद उनकों यह अवगत कराना होगा कि हाल ही में दुनिया की जानी-मानी टेक्नोलाजी मैनेजमेंट फर्म फ्यूट्रान द्वारा जारी ग्लोबल स्पेस कंप्टीटिवनेस इंडेक्स कई प्रमुख वर्गों (देश की सरकार, मानव पूंजी और इंडस्ट्री) के आधार पर तैयार की गई है। इन आधारों के द्वारा तैयार की गई रैकिंग में भारत, चीन से अंशमात्र ही पीछे है। 17.88 अंको के साथ चीन चौथें जब कि 17.52 अंको के साथ भारत पांचवें स्थान पर है। लेकिन अन्य कई प्रमुख वर्गों में भारत ने चीन के सपने को तार-तार कर दिया है। प्रमुख वर्गों के आधार मिलें अंको में देश की सरकार पर मिलें 10.58 अंक के साथ भारत चीन से एक पायदान ऊपर है। भारत चौथें पायदान पर है, जब कि चीन 10.44 अंक के साथ पाँचवें पायदान पर है। इसी तरह स्पेस इंडस्ट्री में भी चीन भारत से एक पायदान नीचे है। इस वर्ग में भारत 4.65 अंक के साथ मजबूती से चौथें स्थान पर जमा है जब कि चीन को 4.33 अंको के साथ पाँचवें स्थान पर ही संतोष करना पड़ रहा है। भारत ने अंतरिक्ष पर अपने पैर जमाने के लिए बड़े-बड़े सपने देखें हैं। इस मिशन के लिए भारत ने अपनी कोशिशों को चीन से अधिक प्रभावशाली बनाया है। क्यों कि चंद्रयान-1 की लागत चीन के पहले मून मिशन की तुलना में आधी से भी कम है। शीर्ष दस देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर तैयार की गई सूची में अमेरिका 90 से ज्यादा सर्वाधिक अंको के साथ सभी वर्गों में अव्वल है। परन्तु भारत की यह गौरवपूर्ण कामयाबी, अमेरिका के लिए गौर करने का विषय बन चुका है कि कहीं अमेरिका चाँद के बारें अपनी जानकारियाँ औंर भविष्य की योजना को लेकर पिछड़ तो नहीं जायेगा। यह सवाल अमेंरिका के लिए बल्कि पाकिस्तान और जापान के लिए पहेली बन चुका है। भारत के इस अभियान को लेकर पाकिस्तान के सभी अख़बारों व टीवी चैनलों में विभिन्न कोणों से इसका विस्त्रत विश्लेषण भी किया गया। पाकिस्तान में एक अखबार के माध्यम से पाकिस्तानी सरकार को आगाह किया गया और उसे एक लंबी फेहरिस्त सौंपी गई कि अब पाकिस्तान सरकार इस नींद से जाग जायें अन्यथा भारत विज्ञान और तकनीकि के मामलें में पाकिस्तान से इतना
आगे निकल जायेगा कि वह लाचार होकर घुटनों के बल बैठ देखता रह जायेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की इस ऐतिहासिक कामयाबी पर सभी देश उसे अनेकों बधाईयाँ दे रहे हैं परन्तु सभी देश नींद से जागते हुए भारत की इस कामयाबी को सबक सीखाने वाला मान रहे हैं। भारत का यह सबक शायद ही अब कोई भुला पाए।
भारत अपने चाँद पर पहुँचने के सपने को पूरा कर अन्य देशों के लिए चर्चा, चिंता और चौकानें का सबब बन चुका है। भारत की इस ऐतिहासिक कामयाबीं पर चीन, अमेरिका, पाकिस्तान जैसें अन्य कई देश चकित हुए हैं। भारत की इस सफलता पर चीनी अंतरिक्ष विज्ञानी सवाल करने में मश़गूल हैं। शायद उनकों यह अवगत कराना होगा कि हाल ही में दुनिया की जानी-मानी टेक्नोलाजी मैनेजमेंट फर्म फ्यूट्रान द्वारा जारी ग्लोबल स्पेस कंप्टीटिवनेस इंडेक्स कई प्रमुख वर्गों (देश की सरकार, मानव पूंजी और इंडस्ट्री) के आधार पर तैयार की गई है। इन आधारों के द्वारा तैयार की गई रैकिंग में भारत, चीन से अंशमात्र ही पीछे है। 17.88 अंको के साथ चीन चौथें जब कि 17.52 अंको के साथ भारत पांचवें स्थान पर है। लेकिन अन्य कई प्रमुख वर्गों में भारत ने चीन के सपने को तार-तार कर दिया है। प्रमुख वर्गों के आधार मिलें अंको में देश की सरकार पर मिलें 10.58 अंक के साथ भारत चीन से एक पायदान ऊपर है। भारत चौथें पायदान पर है, जब कि चीन 10.44 अंक के साथ पाँचवें पायदान पर है। इसी तरह स्पेस इंडस्ट्री में भी चीन भारत से एक पायदान नीचे है। इस वर्ग में भारत 4.65 अंक के साथ मजबूती से चौथें स्थान पर जमा है जब कि चीन को 4.33 अंको के साथ पाँचवें स्थान पर ही संतोष करना पड़ रहा है। भारत ने अंतरिक्ष पर अपने पैर जमाने के लिए बड़े-बड़े सपने देखें हैं। इस मिशन के लिए भारत ने अपनी कोशिशों को चीन से अधिक प्रभावशाली बनाया है। क्यों कि चंद्रयान-1 की लागत चीन के पहले मून मिशन की तुलना में आधी से भी कम है। शीर्ष दस देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर तैयार की गई सूची में अमेरिका 90 से ज्यादा सर्वाधिक अंको के साथ सभी वर्गों में अव्वल है। परन्तु भारत की यह गौरवपूर्ण कामयाबी, अमेरिका के लिए गौर करने का विषय बन चुका है कि कहीं अमेरिका चाँद के बारें अपनी जानकारियाँ औंर भविष्य की योजना को लेकर पिछड़ तो नहीं जायेगा। यह सवाल अमेंरिका के लिए बल्कि पाकिस्तान और जापान के लिए पहेली बन चुका है। भारत के इस अभियान को लेकर पाकिस्तान के सभी अख़बारों व टीवी चैनलों में विभिन्न कोणों से इसका विस्त्रत विश्लेषण भी किया गया। पाकिस्तान में एक अखबार के माध्यम से पाकिस्तानी सरकार को आगाह किया गया और उसे एक लंबी फेहरिस्त सौंपी गई कि अब पाकिस्तान सरकार इस नींद से जाग जायें अन्यथा भारत विज्ञान और तकनीकि के मामलें में पाकिस्तान से इतना
आगे निकल जायेगा कि वह लाचार होकर घुटनों के बल बैठ देखता रह जायेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की इस ऐतिहासिक कामयाबी पर सभी देश उसे अनेकों बधाईयाँ दे रहे हैं परन्तु सभी देश नींद से जागते हुए भारत की इस कामयाबी को सबक सीखाने वाला मान रहे हैं। भारत का यह सबक शायद ही अब कोई भुला पाए।
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