जिस किसी ने भी लाहौर बम धमाकें का लाइव वीडियों देखा उसके तो मन में सिर्फ एक ही सवाल बार-बार कौंधने लगा कि क्या यही है पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था ?????
अभी तक तो आतकंवादी सिर्फ़ मंदिर, मस्जिद ,गुरद्वारों या होटलों को ही अपना निशाना बनाकर लोगों के दिलों में अपने दहशत की एक छाप छोड़ जाते थे। पर अब उन्होनें तो क्रिकेट की तरफ़ अपना रुख़ कर लिया है। उनके लिये तो लोगों की ज़िन्दगियों से खेलना तो मानो एक ख़िलौना बन गया हो। आख़िर कब तक ऐसे ही आतंक का साया लोगों के दिलों में दहशत बनकर गर्जता रहेगा ? आख़िर कब तक पाकिस्तान अपने सायें में आतकं को जन्म देता रहेगा और फिर अपने आप को बचाने के लिए दूसरों पर टिप्पणी कसता रहेगा ।
अब तो सब कुछ लोगों के सामने है पाकिस्तान को शर्मशार करने वाली श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए हमले की घटना का दृश्य भी सभी ने देखा। लेकिन इस पर भी पाकिस्तान को अपने बचाव में टिप्पणी कसने का मौका तो मिल गया है।
Wednesday, March 4, 2009
Sunday, March 1, 2009
आर्थिक स्थिति का आकड़न
पिछले दो महीनों के दौरान आर्थिक मंदी ने शेयर बाजार का नक्शा ही बिगाड़ कर रख दिया है। शेयर बाजार में चल रही उथल-पुथल के कारण निवेशकों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। पिछले दो महीनो में बाजारों में गिरावट के चलते निवेशकों को औसतन प्रत्येक 5 मिनट में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
लेकिन वर्ष 2008 की तुलना में यह गिरावट काफी कम है क्योंकि पिछले वर्ष शेयर बाजार में निवेशकों ने हर दो मिनट में 100 करोड़ रुपये की चोट खायी थी और पूरे साल कुल 40 लाख करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ा था। जबकि इस वर्ष के बीते दो माह के दौरान अब तक 2 लाख 82 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। यानी हर 5 मिनट में 100 करोड़ डूब जाते हैं।
इन आंकड़ो से पता चलता हैं कि वित्तीय संकट के कारण पिछले साल शेयर बाजार काफी तेजी से नीचे आया था। इस वजह से 2008 में स्टॉक मार्केट में रजिस्टर्ड सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 72 लाख करोड़ रुपए से घटकर 31 लाख करोड़ रुपए रह गया। जबकि 2009 में यह और घटकर 28 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। आंकड़ो के अनुसार 2008 में कुल 246 दिनों के करोबारी सत्र में औसतन रोज़ाना 5 घंटे 35 मिनट का कामकाज हुआ। इन सब से तो यह साफ़ हो जाता है कि भारत की आर्थिक स्थिति काफ़ी लचर हो गई है।
लेकिन वर्ष 2008 की तुलना में यह गिरावट काफी कम है क्योंकि पिछले वर्ष शेयर बाजार में निवेशकों ने हर दो मिनट में 100 करोड़ रुपये की चोट खायी थी और पूरे साल कुल 40 लाख करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ा था। जबकि इस वर्ष के बीते दो माह के दौरान अब तक 2 लाख 82 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। यानी हर 5 मिनट में 100 करोड़ डूब जाते हैं।
इन आंकड़ो से पता चलता हैं कि वित्तीय संकट के कारण पिछले साल शेयर बाजार काफी तेजी से नीचे आया था। इस वजह से 2008 में स्टॉक मार्केट में रजिस्टर्ड सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 72 लाख करोड़ रुपए से घटकर 31 लाख करोड़ रुपए रह गया। जबकि 2009 में यह और घटकर 28 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। आंकड़ो के अनुसार 2008 में कुल 246 दिनों के करोबारी सत्र में औसतन रोज़ाना 5 घंटे 35 मिनट का कामकाज हुआ। इन सब से तो यह साफ़ हो जाता है कि भारत की आर्थिक स्थिति काफ़ी लचर हो गई है।
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